कोरोना के कहर के बीच आशा का संचार
सुरेश हिंदुस्थानी कोरोना वायरस के वैश्विक कहर के बाद जहां कुछ देशों में निराशा का गहरा वातावरण निर्मित हुआ है, वहीं भारत के नागरिकों में इस प्रकार की निराशा के बीच भी आशा और जोश का संचार हुआ है। देश के मुखिया नरेन्द्र मोदी के बहुत ही सूझबूझ भरे निर्णय दीप जलाने के बाद कोरोना पर अंकुश लगेगा या नहीं, यह तो नहीं कह सकते, लेकिन इतना जरुर है कि इस तनाव भरे वातावरण में एक नई रोशनी का सूत्रपात हुआ है। पांच अप्रैल का दिन हमारे समय की सबसे बड़ी घटना के रूप में ना सिर्फ याद किया जाएगा बल्कि यह आने वाले समय आने वाली पीढिय़ों के लिए भी एक मिसाल के तौर पर याद रखा जाएगा। वास्तव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की 130 करोड़ जनता के समक्ष एक सकारात्मक दिशा का बोध कराया है। इसके विपरीत हम विश्व के अनेक देशों के राष्ट्र प्रमुखों को रोते बिलखते भी निरंतर देख रहे हैं। पूरा विश्व जब कोरोना के खतरे से जूझ रहा है, भारत ने एक मौन लड़ाई के जरिए पूरी दुनिया को यह संदेश दिया है कि कोरोना जैसे वैश्विक संकट से एकजुट होकर ही लड़ा जा सकता है। इसमें व्यक्ति से व्यक्ति की दूरी भी राष्ट्रीय एकात्म का भाव प्रवाहित