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Showing posts from October, 2023

कोरोना के कहर के बीच आशा का संचार

सुरेश हिंदुस्थानी कोरोना वायरस के वैश्विक कहर के बाद जहां कुछ देशों में निराशा का गहरा वातावरण निर्मित हुआ है, वहीं भारत के नागरिकों में इस प्रकार की निराशा के बीच भी आशा और जोश का संचार हुआ है। देश के मुखिया नरेन्द्र मोदी के बहुत ही सूझबूझ भरे निर्णय दीप जलाने के बाद कोरोना पर अंकुश लगेगा या नहीं, यह तो नहीं कह सकते, लेकिन इतना जरुर है कि इस तनाव भरे वातावरण में एक नई रोशनी का सूत्रपात हुआ है। पांच अप्रैल का दिन हमारे समय की सबसे बड़ी घटना के रूप में ना सिर्फ याद किया जाएगा बल्कि यह आने वाले समय आने वाली पीढिय़ों के लिए भी एक मिसाल के तौर पर याद रखा जाएगा। वास्तव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की 130 करोड़ जनता के समक्ष एक सकारात्मक दिशा का बोध कराया है। इसके विपरीत हम विश्व के अनेक देशों के राष्ट्र प्रमुखों को रोते बिलखते भी निरंतर देख रहे हैं। पूरा विश्व जब कोरोना के खतरे से जूझ रहा है, भारत ने एक मौन लड़ाई के जरिए पूरी दुनिया को  यह संदेश दिया है कि कोरोना जैसे वैश्विक संकट से एकजुट होकर ही लड़ा जा सकता है। इसमें व्यक्ति से व्यक्ति की दूरी भी राष्ट्रीय एकात्म का भाव प्रवाहित

ममता ने कांग्रेस को दिखाया आईना

सुरेश हिन्दुस्थानी पिछले दो लोकसभा चुनावों ने जो राजनीतिक दृश्य अवतरित किए, उसके कारण कांग्रेस का राजनीतिक अस्तित्व कोई भी मानने के लिए तैयार नहीं है। हालांकि इस स्थिति से कांग्रेस के नेतृत्वकर्ता इत्तेफाक नहीं रखते। क्योंकि वह इस बात को मानने के लिए तैयार ही नहीं है कि वह आज कमजोर हो चुकी है। क्षेत्रीय दल कांग्रेस से अच्छी स्थिति में हैं। इसी कारण क्षेत्रीय दल की एक मुखिया ममता बनर्जी ने कांग्रेस पर कमजोरी का टैग लगाते हुए आईना दिखाया है, जिसमें कांग्रेस की वर्तमान हालत दृष्टिगोचर हो रही है। वर्तमान राजनीति का एक मात्र उद्देश्य सत्ता प्राप्त करने तक ही सीमित होकर रह गया है। इस कारण लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव जीतकर आए राजनीतिक दल जब सत्ता के सिंहासन पर विराजमान होता है तो उसे सरकार के तौर पर देखने की वृत्ति लगभग समाप्त ही हो गई है, इसीलिए आज विपक्ष, सरकार को भी एक राजनीतिक दल के तौर पर देखने की मानसिकता बनाकर ही राजनीति करने पर उतारू होता जा रहा है। केवल राजनीतिक फलक प्रदर्शित होना ही राजनीति नहीं कही जा सकती, इसके लिए राष्ट्रीय नीति का परिपालन होना भी आवश्यक है। अच्छी बातों का खुले मन